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अर्जुन का शीश गीरा देता | Karn Shayri | Suryaputra Karn Status 3 года назад


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अर्जुन का शीश गीरा देता | Karn Shayri | Suryaputra Karn Status

#shayri #karan #mystictales #karnstatus This is the poem by Poet. Kumar Sambhavji I am really glad to present this masterpiece to you people out there. Thanks for making such masterpiece. Lyrics = सारा जीवन श्रापित श्रापित हर रिशता बेनाम कहो मुझको ही छलने के खातिर मुरली वाले श्याम कहो तो किसे लिखु मै प्रेम की पाती किसे लिखु मै प्रेम की पाती कैसे कैसे इंसान हुये कि किसे लिखु मै प्रेम की पाती कैसे कैसे इंसान हुये अरे रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये   कि मन कहता है मन करता है,कुछ तो माँ के नाम लिखु कि मन कहता है मन करता है,कुछ तो माँ के नाम लिखु और एक मेरी जननी को लिख दु, एक धरती के नाम लिखु प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा धरती संताप नही देती कि प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा धरती संताप नही देती और धरती मेरी माँ होती तो,मुझको श्राप नही देती तो जननी माँ ने वचन लिया, जननी माँ ने वचन लिया अर्जुन का काल नही हुँ मै कि जननी माँ ने वचन लिया अर्जुन का काल नही हुँ मै अरे जो बेटा गंगा मे छोड़े,उस कुंती का लाल नही हुँ मैं जो बेटा गंगा मे छोड़े,उस कुंती का लाल नही हुँ मैं तो क्या लिखना इन्हे प्रेम की पाती क्या लिखना इन्हे प्रेम की पाती,जो मेरी ना पहचान हुये अरे रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये कि सारे जग का तम हरते बेटे का तम ना हर पाये कि सारे जग का तम हरते बेटे का तम ना हर पाये इंद्र ने विषम से कपट किये,बस तुम ही सम ना कर पाये अर्जुन की सौगंध की खातिर,बादल ओट छुपे थे तुम और श्री कृष्ण के एक इशारे कुछ पल अधिक रुके थे तुम तो पार्थ पराजित हुआ जो मुझसे, तुम को रास नही आया पार्थ पराजित हुआ जो मुझसे, तुम को रास नही आया मेरा देख कला कौशल कोई भी पास नही आया दो पल जो तुम रुक जाते तो, दो पल जो तुम रुक जाते तो अपना शौर्य दिखा देता और दो पल जो तुम रुक जाते तो अपना शौर्य दिखा देता मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता बेटे का जीवन हरते हो बेटे का जीवन हरते हो,तुम कैसे दिनमान हुये रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये पक्षपात का चक्रव्युह क्यो द्रोण नही तुम से टूटा कि पक्षपात का चक्रव्युह क्यो द्रोण नही तुम से टूटा और सर्वश्रेष्ट अर्जुन ही हो,बस मोह नही तुम से छूटा एकलव्य का लिया अंगूठा,मुझको सूत बताते हो एकलव्य का लिया अंगूठा,मुझको सूत बताते हो अरे खुद दौने में जन्म लिया और मुझको जात दिखाते हो अब धरती के विश्व विजेता परशूराम की बात सुनो अरे एक झूठ पर सब कुछ छीना नियती का आघात सुनो तो देकर भी जो ग्यान भुलाया, देकर भी जो ग्यान भुलाया कैसा शिष्टाचार किया? अरे देकर भी जो ग्यान भुलाया कैसा शिष्टाचार किया अरे दानवीर इस सूर्यपुत्र को तुमने जिंदा मार दिया कि दानवीर इस सूर्यपुत्र को तुमने जिंदा मार दिया कि दानवीर इस सूर्यपुत्र को तुमने जिंदा मार दिया फिर भी तुमको ही पूजा है तुम ही बस सम्मान हुये अरे रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये ? #Karnshayariarjunkashiahgiradeta #arjunkashishgiradeta #bestpoetryandshayari #bestpoetryonkarn #bestpoetryonmahabharathindi #poetrykahani #karnkikarnpoetrykarn #shayarikarnafate #Karn shayari #best poetry on karnkarn shayari

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