Русские видео

Сейчас в тренде

Иностранные видео


Скачать с ютуб श्री कृष्ण की गुरुकुल शिक्षा | Shri Krishna Ki Gurukul Shiksha | Movie | Tilak в хорошем качестве

श्री कृष्ण की गुरुकुल शिक्षा | Shri Krishna Ki Gurukul Shiksha | Movie | Tilak 3 года назад


Если кнопки скачивания не загрузились НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru



श्री कृष्ण की गुरुकुल शिक्षा | Shri Krishna Ki Gurukul Shiksha | Movie | Tilak

   • बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुम...   बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...   Watch the film ''Shri Krishna Ki Gurukul Shiksha'' now! Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak ऋषि गर्ग श्री कृष्ण को अपना शिष्य बना लेते हैं और उनको ब्रह्मचर्य का ज्ञान देते हैं। श्री कृष्ण और बलराम को ब्राह्मण जीवन प्रारम्भ हो जाता है। श्री कृष्ण और बलराम भिक्षा माँगने के लिए निकल पड़ते हैं। श्री कृष्ण और बलराम दोनों महर्षि संदीपनि के आश्रम में पहुँचते हैं और उन्हें प्रणाम करते हुए अपना परिचय देते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं की हमें शिक्षा दीक्षा दें। तो ऋषि उन्हें दीक्षा देने के लिए तैयार हो जाते हैं। गुरु माँ उनके रहने का प्रबंध करती हैं। श्री कृष्ण और बलराम का गुरु माँ सुमुखी सुदामा के साथ उनकी कुटिया में एक साथ रहने का प्रबंध कर देती हैं। सुदामा श्री कृष्ण और बलराम का अपनी कुटिया में स्वागत करता है और उनकी सेवा करते है। महर्षि संदीपनि ने श्री कृष्ण और बलराम को अस्त्र शस्त्र की शिक्षा और चारों वेदों का ज्ञान दिया। उन्होंने दोनों भाइयों को संगीत का भी ज्ञान प्रदान किया। ऋषि संदीपनि जी भगवान विष्णु के अवतारों की कथा श्री कृष्ण और बलराम को सुनते हैं। ऋषि संदीपनि श्री कृष्ण और बलराम को योग का ज्ञान देते हैं और कुंडलिनी जागृत करने की विधि का भी ज्ञान देते हैं। शिक्षा लेने के बाद श्री कृष्ण और बलराम सुदामा के पास अपनी कुटिया में बैठ कर बातें करते हैं। गुरु माता सुदामा और श्री कृष्ण को वन से लकड़ियाँ लाने को भेजती हैं। गुरु माता श्री कृष्ण और सुदामा को चने देती है ताकि भूख लगने पर तुम खा सको। श्री कृष्ण और सुदामा वन में चले जाते हैं और लकड़ियाँ एकत्रित करने लगते हैं तभी शाम होते होते वन में बहुत तेज बारिश आ जाती है। श्री कृष्ण और सुदामा शेर से बचने के लिए पेड़ पर चड़ जाते हैं। सुदामा को भूख लगती है और वह गुरु माता द्वारा दिए गए सारे चने अकेले ही खा जाता है। जब श्री कृष्ण सुदामा से चने माँगते हैं तो सुदामा झूठ बोल देते हैं की वो पेड़ पर चड़ते वक्त नीचे गिर गए। इस पर श्री कृष्ण उसे अपने अंटी से चने निकल कर खाने को देते हैं तो सुदामा को झूठ बोलने का बहुत दुःख होता है और वह श्री कृष्ण को सच बता देता है और क्षमा माँगता है जिस पर श्री कृष्ण उन्हें मित्रता का सही अर्थ बताते हैं और क्षमा माँगने से मना करते हैं।अगले दिन श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा भिक्षा माँगने जाते हैं, भिक्षा में उन्हें माल पुआ मिलते हैं जिसे देख सुदामा को बहुत भूख लगती है और वह चुपके से एक माल पुआ खा लेता हैं श्री कृष्ण उन्हें अपने हिस्से की भिक्षा देते हैं और गुरु माँ को देने के लिए कहते हैं। ऋषि संदीपनि श्री कृष्ण और बलराम को ध्यान विद्या का ज्ञान देते हैं। श्री कृष्ण और बलराम को ऋषि संदीपनि विदेय यात्रा की विधि सिखाते हैं और उन्हें उसी विधि के द्वारा बद्रीनाथ के दर्शन कराने ले जाते हैं। बद्रीनाथ से वापस लौटते हुए उन्हें रस्ते में ऋषि गर्ग मिल जाते हैं। जब ऋषि गर्ग श्री कृष्ण और बलराम को नमन करते हैं जिसे देख ऋषि संदीपनि हैरान हो जाते हैं और जब उन्हें ऋषि गर्ग उन्हें बताते हैं की श्री कृष्ण स्वयं श्री नारायण हैं तो ऋषि संदीपनि खुद को धन्य मानते हुए श्री कृष्ण को नमन करते हैं। श्री कृष्ण ऋषि संदीपनि को विष्णु रूप में दर्शन देते हैं। श्री कृष्ण और बलराम सुदामा को उसकी माँ से मिलने की बात बताते हैं और माखन देते हैं। ऋषि संदीपनि रात्रि में विदेय यात्रा में हुए विष्णु रूप की बात याद आती है परंतु समझ नहीं पाते हैं क्योंकि भगवान विष्णु ऋषि संदीपनि की स्मृति से उस पल को हटा देते हैं। जब ऋषि संदीपनि इस बारे में गुरु माँ से बात कर ही रहे थे तो वहाँ श्री कृष्ण और बलराम आ जाते हैं और उनसे अपनी विद्या देने की गुरु दक्षिणा माँगने की बात करते हैं। गुरु दक्षिणा के रूप में ऋषि संदीपनि श्री कृष्ण और बलराम से कहते हैं की मेरे द्वारा दी गयी विद्या और शक्तियों का अच्छे कार्यों में ही इस्तेमाल करोगे। इसके पश्चात श्री कृष्ण और बलराम गुरु माँ से गुरु दक्षिणा माँगने को कहते हैं और जब गुरु माँ उन्हें कहती हैं की उनका बहुत समय पहले उनका पुत्र मर गया था क्या तुम उसे वापस ला सकते हो। गुरु माँ दुखी होते हुए श्री कृष्ण से उनके वचन से मुक्त कर देती हैं क्योंकि कोई भी इस वचन को पूरा नहीं कर सकता। श्री कृष्ण, ऋषि संदीपनि और गुरु माँ को उनके पुत्र पुनर्दत्त से मिलवाने का वचन देते हैं। श्री कृष्ण समुद्र किनारे जाते हैं जहां वह स्नान करते हुए डूब जाता है। श्री कृष्ण समुद्र राज से पुनर्दत्त को वापस माँगते हैं तो समुद्र राज उन्हें बताते है कि समुद्र में एक पाँचजन्य नाम का राक्षस है पुनर्दत्त ज़रूर उसी के पास होगा। श्री कृष्ण और बलराम पाँचजन्य राक्षस के पास समुद्र की गहरायी में जाते हैं। श्री कृष्ण और बलराम समुद्र में पुनर्दत्त को खोजने के लिए जाते हैं और वहाँ श्री कृष्ण पाँचजन्य नाम के राक्षस से युध करके उसे मार देते हैं। पाँचजन्य जिस शंख में छुपा बैठा था श्री कृष्ण उसे अपने साथ ले जाते हैं और उसे पाँचजन्य शंख का नाम देते हैं। श्री कृष्ण पुनर्दत्त को खोजने के लिए यमराज के पास जाते हैं। यमलोक के द्वारपाल उन्हें अंदर जाने से रोक लेते हैं। In association with Divo - our YouTube Partner #SriKrishna #SriKrishnaonYouTube

Comments