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जय गंगा मैया कथा | विष्णु भक्त प्रह्लाद 1 год назад


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जय गंगा मैया कथा | विष्णु भक्त प्रह्लाद

भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान! Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...   Watch the Short story ''Vishnu bhakt prahlaad'' now! Watch all the Ramanand Sagar's Jai Ganga Maiya full episodes here - http://bit.ly/JaiGangaMaiya Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak हिरण्यकश्यप प्रह्लाद की शिक्षा के लिए अपने आचार्य को बुलाते हैं और उसे गुरुकुल में शिक्षा लेने के लिए भेजते हैं। हिरण्यकश्यप युद्ध के लिए जाने की बात कहता है तो प्रह्लाद उसे कहता है की आप क्षीर सागर भी जाएँगे और लक्ष्मी पति से भी युद्ध करेंगे। हिरण्यकश्यप कहता है की हाँ मैं करूँगा क्योंकि में परमेश्वर हूँ। प्रह्लाद विष्णु के बारे में बखान करता है तो हिरण्यकश्यप को उस पर क्रोध आ जाता है। हिरण्यकश्यप के सामने जब प्रह्लाद ने विष्णु के भगवान होने और परमेश्वर होने की बात की तो हिरण्यकश्यप को क्रोध आ जाता है। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद पर वार करने के लिए तलवार निकलता है तो क्याधु उसे रोक देती है। हिरण्यकश्यप वहाँ से देवताओं पर आक्रमण करने एक लिए निकल जाता है। हिरण्यकश्यप स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लेता है। प्रह्लाद गुरुकुल में दूसरे बालकों को भगवान विष्णु के बारे में बताता है और विष्णु के मंत्र उच्चारण सिखाता है। तभी वहाँ आचार्य आ जाते हैं और उसे रोक देते हैं और विष्णु का नाम लेने के कारण दंड के रूप में भोजन ना देने के आदेश देते हैं। गंगा मैया प्रह्लाद पास आती हैं और उसके खाने के लिए फल देती हैं और अपना जल से उसकी प्यास भी भूजती हैं।आचार्य अपने साथ प्रह्लाद को वहाँ लेकर आते हैं और हिरण्यकश्यप को बताते हैं की प्रह्लाद आपको भगवान मनाने के बजाए विष्णु को भगवान मानता है और सभी बालकों को भी यही शिक्षा देता है की विष्णु हाई भगवान है। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद से पूछता है तो वह विष्णु के बारे में बताने लगता है जिस पर हिरण्यकश्यप को क्रोध आता है। प्रह्लाद विष्णु के नाम का जाप करता है तो हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद पर और अधिक क्रोध आता है और उसे कारागार में डालने के लिए भेज देता है। प्रह्लाद रात्रि में विष्णु नाम का जाप करता है जिसे सुन हिरण्यकश्यप कारगर में जाता है और अपने सैनिकों को आदेश देता है की प्रह्लाद को मार दो। सैनिक प्रह्लाद पर तलवारों से वार करते हैं लेकिन प्रह्लाद को कुछ नहीं होता। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को मारने के लिए क्याधु को विषैला भोजन खिलाने के लिए कहता है लेकिन क्याधु माना कर देती है। हिरण्यकश्यप अल्हाद को आदेश देता है की उसे ऊँचे पर्वत से नीचे फेंक दे। अल्हाद अपन साथ प्रह्लाद को पर्वत पर ले जाता है और उसे वह से फेंक देता है। प्रह्लाद को बचाने के लिए विष्णु भगवान वह आ जाते है और प्रह्लाद को बचा लेते हैं। हिरण्यकश्यप ये सब सुन कर और क्रोधित हो जाता है। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी तलवार निकलता है तो क्याधु बीच में आ जाती है। तभी वहाँ हिरण्यकश्यप की बहन होलिका वहाँ आ जाती है और प्रह्लाद को अपने साथ जलती चिता में बैठ कर उसके प्रण लेने के बात बताती है। होलिका को अग्नि से ना जलने का वरदान था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ जाती है और जैसे ही अग्नि जलती है होलकी हंसने लगती है लेकिन होलिका की हंसी कुछ ही देर में चीख़ों में बदल जाती है। प्रह्लाद को विष्णु नाम का जाप करता रहता है और अग्नि से उसे कोई हानि नहीं होती। होलकी अपने साथ वरदान में धोखे की बात करती है तो गंगा मैया वहाँ प्रकट हो कर बताती है की यह वरदान तुम्हारी ग़लत नियत और प्रह्लाद का अहित करने की वजह से समाप्त हो गया है। होलकी अग्नि में जलकर भस्म हो जाती है। क्याधु ये सब देखने से पहले ही बेहोश हो जाती है। प्रह्लाद अपनी माता क्याधु के पास आता है क्याधु के होश में आते ही वह अपने पुत्र प्रह्लाद को देख प्रसन्न हो जाती है। प्रह्लाद अपनी माता को समझता है की आप मेरी चिंता ना करे विष्णु भगवान हमारे साथ हैं वो हमें कुछ भी नहीं होने देंगे। हिरण्यकश्यप वहाँ आ जाता है और प्रह्लाद को दंड देने के लिए ले जाने लगता है तो सुमुखी वहाँ आकर हिरण्यकश्यप को कहती है की आप प्रह्लाद को मुक्त कर दें और उसे अपने जीवन को जैसे जिन हाई जीने दे क्योंकि अभी तक जो भी हुआ है ऐसा होना असम्भव है। हिरण्यकश्यप सुमुखी की बात नहीं मानता और प्रह्लाद को नष्ट करने के लिए ले जाता है और विष्णु भगवान को चेतावनी देता है की प्रह्लाद को बचा सकता है तो बचा ले। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को मारने से पहले कहता है की तुझे अपने प्रण बचाने है तो बुला अपने भगवान को। प्रह्लाद कहता है की भगवान तो हमेशा मेरे पास हाई वो तो हर कण कण में समाए हैं। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद से पूछता है की क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ में भी है तो वह कहता है हैं पिताजी। हिरण्यकश्यप उस स्तम्भ पर हमला करता है तो उस स्तम्भ के टूटने पर नरसिंह भगवान प्रकट हो जाते हैं। हिरण्यकश्यप के सामने नरसिंह भगवान प्रकट हो जाते हैं। हिरण्यकश्यप नरसिंह भगवान पर हमला करता है लेकिन नरसिंह भगवान उसके अस्त्र को फेंक देते हैं। हिरण्यकश्यप अपनी जान बचाने के लिए भागता है लेकिन नरसिंह उसे पकड़ लेते हैं और उसे महल के बाहर के दरवाज़े की चौखट में अपनी गोद में लेटा लेते हैं। In association with Divo - our YouTube Partner #JaiGangaMaiya #JaiGangaMaiyaYouTube #JaiGangaMaiyaKatha

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