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ज़िला किन्नौर। होरिंग्फो। फुल्याच मेला। रामनी (मैल्लम)। 2023। OUR kinnaur 11 месяцев назад


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ज़िला किन्नौर। होरिंग्फो। फुल्याच मेला। रामनी (मैल्लम)। 2023। OUR kinnaur

फुल्याच मेले मे निकाला जाने वाला होरिंग्फा नाटक- इन दिनों किन्नौर जिला के प्रत्येक गांव में फूलों का त्योहार यानी फुल्याच उत्सव की धूम है। इस दौरान प्रत्येक ग्रामीण अपने आने इष्ट देवता जी की पालकी के साथ इस त्योहार को बड़े ही हर्षोलास के साथ मनाते है। किन्नौर जिला के बारंग गांव में भी इस मेले की खासी धूम रहती है। मेले का शुभारंभ स्थानीय ग्रमीणों द्वारा ऊंची पहाडि़यों से विशेष फूल जिस में ब्रह्म कमल, जोलची, खासबाल सहित विभिन्न फूलों को तोड़कर विशेष अवसर पर देवालय लाया जाता है। इस फूल को लाने के लिए देव आदेश के बाद ही कुछ चुनिंदा लोग को लाने की इजाजत होती है। इस दौरान स्थानीय नाग देवता एवं कल्याण देवी जी के साथ ग्रामीण नाच गान एवं नाटियों का आयोजन करते है। मेले के अंतिम दिन देवी उखयांग के रूप में मनाया जाता है। पांच दिनों तक चलने वाले इस उत्सब के दौरान प्रत्येक घर से एक व्यक्ति का मेले में भाग लेना अनिवार्य रहता है। इस दौरान स्थानीय लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा से सुसज्जित हो कर उत्सव में भाग लेते है। गौर रहे कि फूल्याच मेले का आयोजन किन्नौर जिला के प्रत्येक गांव में मनाया जाता  है जो हर वर्ष चार सितंबर से शुरू होकर अक्तूबर माह के अंत तक चलता है। किन्नौर जिला के अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग तिथियों में इस उत्सव को मनाया जाता है। इस उत्सव को मनाने की विधि प्रत्येक गांव में थोड़ी भिन्न है लेकिन एक खासियत सभी जगह यह है कि सभी स्थानों पर लोग पहाडि़यों से फूल तोड़कर देवालय में लाते है। इस मेले में फूलों का विशेष महत्त्व होने के कारण ही इस उत्सव को फूलों का त्योहार यानी फुल्याच उत्सव भी कहा गया है। इस उत्सव को किन्नौरी की आम बोल चाल की भाषा मे उख्यांग मेला भी कहा जाता है।

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