Русские видео

Сейчас в тренде

Иностранные видео


Скачать с ютуб DAY 4 PART 4 ज्ञान ध्यान आध्यात्मिक शिक्षण शिविर @ANTARMANA_VANI в хорошем качестве

DAY 4 PART 4 ज्ञान ध्यान आध्यात्मिक शिक्षण शिविर @ANTARMANA_VANI Трансляция закончилась 2 недели назад


Если кнопки скачивания не загрузились НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу страницы.
Спасибо за использование сервиса savevideohd.ru



DAY 4 PART 4 ज्ञान ध्यान आध्यात्मिक शिक्षण शिविर @ANTARMANA_VANI

@00/02/2024 @ANTARMANAVANI0 #PRATAKAALPOOJAN #GURUPOOJAN #SANDHYAGURUBHAKTI #PRASNNASAGARJIMAHARAJ #24तीर्थंकर तीर्थंकर #antarmana #religion #jaintemple #pratahkal_live #pooja #live #mahaveer #jainism morning आज भारत में 4 से 5 मिलियन साधु संत हैं, और उनकी प्रभावना व सामाजिक प्रचार प्रसार व्यापक रूप से सम्मानित व प्रतिष्ठित हैं I साधना महोदधि अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागर महाराज भी अपने तरीके से देश के अद्वितीय साधु हैं।जो 30 वर्षो के साधना काल में त्याग व समाज सेवा में अपनी चर्या से मुखरित हे, जिनके आशीर्वाद व दर्शन मात्र से सभी कष्ट एवं दुःख दूर हों जाते हे l भगवान महावीर के बाद, वे एकमात्र ऐसे साधक हैं, जिन्होंने 153 दिनों तक जयपुर के पदमपुरा में "सिंहनीशक्तिव्रत" के तहत 186 दिनों के "मौन साधना" के साथ उपवास किया है। उनकी तपस्या व ध्यान की कट्टर अवधारणा ने उन्हें दुनिया के मुकुट का एक गहना बना दिया गुरुदेव के नाम को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया है। वह भारत के पहले 100 लोगों की बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल हैं व भारत गौरव की उपाधि से सम्मानित हे । गुरुदेव के नाम से विभिन्न उपलब्धियों के 34 रिकॉर्ड दर्ज हे । वियतनाम विश्वविद्यालय ने 30 जून 2017 को पदमप्रभु दिगंबर जैन मंदिर, पदमपुरा, जयपुर में अंतर्मना गुरुदेव को पीएचडी की उपाधि से अलंकृत किया गया हे l अंतर्मना व्यक्तित्व एवं कृतित्व 21 मार्च 1986 को गृह त्याग किया और प्रथम केशलोच किया ओर उसी दिन अजीवन वाहन का त्याग किया और संत्तव की महान यात्रा में आगे बड गए... पहली प्रतिमा 1986 मई मे इन्दौर पलासिया मे लिया... तीसरी प्रतिमा 1987 सिद्धक्षेत्र पावागढ मे लिया... 1988 मे निर्जल दशलक्षण व्रत किए 18 - April 1989 महावीर जयंती के दिन ब्रम्हचारी से सीधे - मुनिदीक्षा ली नोगामा जिला बासंवाडा राजस्हथान में अंतर्मना के चातुर्मास की यात्रा - 1989- नागोमा जिला बांसवाडा राजस्थान ( यंहा उन्होंने पंचमेरू व्रत के ५ उपवास और रत्नत्रय के ३ तेल किये ४ उपवास फुटकर - यंहा उनके सात दिन तक लगातार आहार में अंतराय हुआ और गाला बंद हो गया था ) 1990- प्रतापगढ़ (6-उपवास) 1991- प्रतापगढ़ (8 उपवास) (यहां मंत्र साधाना करते वक्त उनके आँखो की रोशनी चली गई 16 घन्टे के लिए) 1993- भिंड मःप्रः(12-उपवास) 1994- इटावा यू पी (6) 1995- कानपुर यूपी (8) 1996- मुरादाबाद UP (4-उपवास) 1997- मुजफ्फरनगर UP (7-उपवास) 1998- दाहोद गुजरात (स्वतंत्र चातुर्मास) (6- उपवास) 1999- पोर बडोदा गुजरात (6-उपवास) 2000- अहमदाबाद (5-उपवास) 2001- गिरीडीह झारखंड यहां पांच महीने के चातुर्मास मे 85 उपवास किया 2002- धुलियान जिला मुर्शिदाबाद बंगाल (8-उपवास) 2004- डिसपूर आसाम(6-उपवास) 2005- नलवाडी आसाम ( आश्चर्यश्री के साथ ) (12-उपवास) 2006- किशनगंज बिहार (6-उपवास) 2007- कोलकाता (9-उपवास) 2008- हैदराबाद (8-उपवास) 2009- जनवरी इच्छलकरन्जी मै *आचार्य सन्मति सागर महाराज जी से हर चतुर्दशी का उपवास लिया अष्टमी, चतुर्दशी का नमक त्याग किया। 2009- मैसूर 24 उपवास किये । (8-उपवास) 2010- औरंगाबाद रवि व्रत किया (8-उपवास) 2011- कानपुर (6-उपवास) 2012- अजमेर (12-उपवास) अजमेर के लिए जब विहार किए तब April मे 40 दिन की अखंड मौन साधाना पद्मपुरा मे किए | 2013- उदयपुर (उदयपुर से ही एक आहार -एक फल आहार का नियम लिया । 2014 - पद्मपुरा (यहा से हरी पत्तियों का आजीवन त्याग किया) यहां प्रथम बार 80 दिन का सिंघनिष्क्रीडित व्रत किए अखंड मोन ओर एकांत के साथ जिसमे उपवास- 59 पारणा - 21 थे | 2015 – नागपुर यहां उन्होंने अष्टानीका के 8 उपवास ओर सोलहकारण के 16 उपवास टोटल 32 उपवास | 2016 – बैंगलोर यहां 95 दिन उपवास किए 2017- पद्मपुरा यहा 186 दिन की अखंड मौन साधाना सिंघनिष्क्रीडित व्रत किए जिसमे उपवास - 153 (निर्जला पारणा - 33 (यहा से एक उपवास और एक आहार का नियम जो आज चल रहा है) 2018- अहमदाबाद *यहां उन्होंने 64 (चौंसठ) रिद्धि व्रत किया,जिसमे 66 दिन का उपवास अखंड मौन साधाना ओर एकांत था | 2019 – पुष्पगीरी यहां णमोकार व्रत के 35 उपवास किए 2020 - मनसा-महावीर यहां उन्होंने भक्तामबर व्रत के 48 दिन का उपवास अखंड मौन ओर एकांत के साथ किया जिसमे 48+2 टोटल 50 दिन उपवास किया | 2021-2022 - तीर्थराज श्री सम्मेद शिखर जी मे स्वर्ण भद्र कूट पर रहते हुए 557 दिवस की कठिन मौन साधना संपन की

Comments