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नित्य पाठ MOGAL STUTI 7 лет назад


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नित्य पाठ MOGAL STUTI

मोगल नित्यपाठ स्तोत्र . || मोगल नित्य पाठ स्तोत्र || . रचना जोगीदान चडीया . छंद : भुजंग प्रयात . , सदमतीयुं सगती समप,चुकुं नही सत चाल . जाळव तुं ब्रिद जोगडा, है मौंगल हर हाल..||01|| नमौ चारणी तारणी पाय तोळे, कहो मां खमां तो कळोयांय कोळे हजी हाजरा तुं हजूरीय हामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||02|| हरे चित्त चिंता विघन्नो विनासे, अखिलेशरी आवियो ऐज आसे डणंकी रीपु ने दीयो मात डामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||03|| नहीं तर्क थी जाय तुं मात जांणी, प्रगट्टे घटो घट्ट मां ज्येंम पांणी नतो मात जन्मी नतो मृत्य पामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||04|| नतो यौवना मात नां बाल व्रिद्धा, अजर तुं अमर तुं तुंहीं ब्रह्म सिद्धा तवां हत्थ मे सर्प त्रिसूल्ल तामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||05|| तुंही दुग्ध रां देगडां मात देंणी, तुंही काळ ना काळ नी मात केंणी गमे तम्म जाया ने केमे गुलामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||06|| जगत्त पालणी जोगणीं मात जाणी, विभिन्नाय रुपाय वेदे वखांणी अहरनीस तुं स्वास ही स्वास सामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||07|| तुंही ॐ कारम् तुंही रिंग धारम्, जीभां जोगीदानाय पुन्यं पुकारम् भणीं जोगणी तुं घणीं विश्व घामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||08|| तुंही काल सर्पां तणां दोष कापे, तुंही धर्म थापी अधरमां उथापे तुंही सर्व सग्ती तणो स्रोत तामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||09|| भग्यो खुब तोये जग्यो नाय जोयुं, खरा अर्थ मां तो घणुं मात खोयुं अबे आथडूं ना थडो घट्ट थामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||10|| तुंही जंबु प्लक्षं तुंही साल्म कुशं, तुंही पुस्करा कौंच के शाक शुशं द्वीपो सात मे भेळीयाळी भजामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||11|| अतल तुं वितल तुं नितल तु सुतल तुं, गभस्तिय मानं महातल पतल तुं तुंही सात पाताल तुं ही सुनामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||12|| तुंही सायरां निर वादल्ल सारे, धरापे पडे मां तुंही मेघ धारे निराकार आकार तुं ऐक नामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||13|| सुखे मात सोई जदेय प्रोढ जागु, मळे दर्स तोळां नमीं ऐज मागुं खलक्के रहे ना मया कोउ खामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||14|| तुंही अन्न तृप्ती परा तुं पवन्ना, तुंही भोम वारी अगन्ना गगन्ना तुंही सर्व तत्वो महीं मात सामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||15|| दीयो संतती संपती सुक्ख कारी, रीयो भावना जन्न की हीत्त कारी प्रचंडी अखंडी प्रचा जाउं पामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||16|| भवां बाळ भाखे तुंही लाज राखे, कोई नेंण नाखे दढी दाज दाखे सगत्ती न साखे कपट्टीय कामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||17|| तवां चर्ण नो आशरो ऐक चंडी, प्रसो हत्थ माथे प्रलंबा प्रचंडी अजांण्युं न कांईं तुंहीं अंत्र जामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||18|| भयी भुल्ल हो कोई जांणे अजांणे़, प्रखो रेम द्रस्टीय पुत्रां प्रमांणे. रखी खोळले तुं करे दुर खामी नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||19|| सगत्तीय छोरुं तणो सिल सिल्लो, उचारु हुं सत्यं चुकु नाय चिल्लो कबुं ना बणुं लंपटी दुष्ट कामी , नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||20|| हिये सुं लग्यो बाळकां मात हेडो, तमुं चाहणी जोगणी तर्र वेडो उदोहु उदो उच्चरे जंग जामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||21|| महा मोक्ष मानम् थडां चर्ण थानम् ,जपे जोगीदानम्, धरी मात ध्यानम् | रमी रोम रोमे पले पल्ल पामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||22|| चल्या विन्न चित्ते करे पाठ नित्ते, वलक्खे न वित्ते जगे जंग जीत्ते हजो काज हीत्ते प्रवित्ते प्रणांमीं, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||23|| नमो नाम नारायणां ब्रह्म रुपा, सदा शिव दाताय सग्ती सरुपा जयो हं जयो हं जयो धुन्न जामी, नमो मौंगलंम्मा नमामी नमामी..||24|| . घांघणीया तनया घटम् ,समरण प्रकटण सूर . जय मोगल जप जोगडा, नमन वधारण नूर..||25||. रचना: जोगीदान गढवी (चडीया). मो.नं.9898 360 102

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