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अष्टक वर्ग से जानें अपना पूरा जीवन काल बिना गुणा गणित,hidden secrets of ashtak varg, 2 года назад


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अष्टक वर्ग से जानें अपना पूरा जीवन काल बिना गुणा गणित,hidden secrets of ashtak varg,

DevGuruAstro, नक्षत्र तक, Nakshtra Tak, Astrology is an ancient concept, as old as time, you can say. It is an importance aspect of our lives – our past, present and future. To a great extent, astrology is used to forecast and predict future events and can also be used as a medium to get rid of any kind of mishap related to planetary positions. अष्टक वर्ग से जानें अपना पूरा जीवन काल बिना गुणा गणित,hidden secrets of ashtak varg, फलादेश में सूक्षमता लाने के लिए ज्योतिष के सभी ग्रंथों में अष्टक वर्ग अपना एक विशेष स्थान रखता है। अष्टक वर्ग का वर्णन ज्योतिष के प्राचीन मौलिक ग्रंथों में सभी जगह मिलता है, वृहद पाराशरी होरा शास्त्र में तो उत्तर खंड में अष्टक वर्ग का ही वर्णन किया गया है। ज्योतिष शास्त्र में अष्टक वर्ग एक अहम् भूमिका है। ज्योतिष में इसके बिना भविष्यवाणी करना असंभव तो नहीं, लेकिन कठिन अवश्य है। कभी-कभी देखते हैं कि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति उच्च बल की है, परंतु वह व्यक्ति एक साधारण सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है, दूसरी ओर देखने को मिलता है कि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति अति नीच की हैं, परंतु वह व्यक्ति उच्च एवं महान जीवन व्यतीत करता है, आखिर ऐसा क्यों? फलित सिद्धांत के अनुसार कोई भी ग्रह अपनी नीच, शत्रु राशि, या छठे, आठवें तथा बारहवें भाव में अनिष्ट फल देता है, लेकिन देखने के लिए मिलता है कि ऐसे ग्रहों वाला व्यक्ति भी संसार में उच्च पद पर नियुक्त है। ऐसे व्यक्ति की कुंडली को देख कर कोई कल्पना नहीं कर सकता कि वह किसी ऊंचे पद पर होगा। इसके लिए अष्टक वर्ग का सिद्धांत अत्यधिक आवश्यक है। कोई भी ग्रह उच्च का स्वक्षेत्री, या केंद्र आदि बलयुक्त षोडष बलयुक्त योगकारक ही क्यों न हो, यदि उसकी अष्टक वर्ग में स्थिति बलयुक्त न हो, तो वह शुभ फल नहीं देता है और यदि, उसके विपरीत, वह ग्रह छठे, आठवें एवं बारहवें भाव में स्थित हो, या शत्रुक्षेत्री, बलहीन हो, यदि वह अष्टक वर्ग में बलयुक्त हो, तो वह शुभ फल देता है। केवल किसी एक ग्रह के आधार पर वास्तविक सत्य भविष्यवाणी नहीं की जा सकी है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि सारे सौर मंडल में अन्य ग्रह उसे कितना प्रभावित करते हैं तथा उस ग्रह से अन्य ग्रहों की स्थिति क्या है एवं उसका प्रभाव क्या है? इसका ज्ञान सिर्फ अष्टक वर्ग से ही हो सकता है। जन्म के समय किसी ग्रह की जो स्थिति केवल उस स्थिति के अनुरुप फल कथन करते समय यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि वर्तमान में ग्रह की स्थिति क्या है, जन्म के समय उस ग्रह की स्थिति उच्च बल की हो, लेकिन वर्तमान में उस ग्रह की स्थिति न्यूनतम है, तो इसका निराकरण अष्टक वर्ग एवं गोचर के द्वारा ही किया जाता है। गोचर के फल में स्थूलता है। क्योंकि एक ही राशि के अनेक मनुष्य होते हैं, इसलिए गोचर में भी सूक्ष्मता लाने के लिए #अष्टकवर्ग की उपयोगिता है।

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